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लेखनी कहानी -08-Jul-2022 गीत : सावन की झड़ी कुछ ऐसी लगी है

सावन की झड़ी कुछ ऐसी लगी है 
सोई सी प्रीत अब दिल में जगी है 

उमड़ घुमड़ फिर घिर आये बदरा 
बिजुरिया से ये कर रहे दिल्लगी है 

हवा भी बही जाये अपनी ही धुन में 
ये भी क्या किसी के प्रेम में पगी है 

उमड़ता है ज्वार भाटा सा दिल में 
सजन तू बता दे ये कैसी बन्दगी है 

एक तेरे होने से है दुनिया की बहारें 
सजन तू नहीं तो ये क्या जिन्दगी है 

हरिशंकर गोयल "हरि" 
8.7.22 


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2 Comments

Seema Priyadarshini sahay

08-Jul-2022 08:43 PM

Nice 👍

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Gunjan Kamal

08-Jul-2022 08:52 AM

बहुत खूब

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